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मंगलवार, मार्च 16, 2010

मैं ओर तुम











निशिगंधा सी मैं,

मस्त बयार से तुम।

हर कलि मे मैं,

अल्हड़ भ्रमर में तुम।

धवल चन्द्रिका मैं,

विकल चकोर से तुम।

अधीर घटा सी मैं,

अटल व्योम से तुम।

अबोध शिशु सी मैं,

पथप्रदर्शक तुम।

नयन नयन में मैं ,

ह्रदय ह्रदय में तुम।

सर्वस्व अर्पण मैं,

पूर्ण समर्पित तुम।

असीम धरा सी मैं,

अनंत छितिज से तुम।

रोम रोम रति मैं,

कण कण कामदेव तुम।


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